आधे मिलियन डॉलर की खबर ने मुझे बहुत आत्मविश्वास दिया। मेरे पास एक बहुत स्पष्ट अवधारणा थी कि मैंने यह कैसे किया था और मुझे इस बात का भी यकीन था कि मैं यह फिर से कर सकता था। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं था कि मैंने अपनी कला में महारत हासिल कर ली थी। अपने टेलीग्रामों के साथ काम करते हुए मैंने एक तरह की छठी इंद्रिय विकसित कर ली थी। मैं अपने शेयरों को महसूस कर सकता था। मैं लगभग बता सकता था कि स्टॉक क्या करेंगे। यदि एक आठ अंक की बढ़त के बाद एक शेयर चार अंक पीछे आ जाता था तो मैं चिंतित नहीं होता था। मैं उससे ऐसा ही करने की अपेक्षा करता था। यदि कोई शेयर मजबूत होने लगता था तो मैं अकसर अनुमान लगा लेता था कि उसका बढ़ना किस दिन शुरू होगा। यह एक रहस्यमयी, समझाई न जा सकनेवाली वृत्ति थी; लेकिन मेरे मन में कोई संदेह नहीं था कि यह मेरे पास थी। इसने मुझे एक जबरदस्त शक्ति की भावना से भर दिया था। -इसी पुस्तक से यह पुस्तक निकोलस डरवास की असफलता, संघर्ष और अंततः अभूतपूर्व सफलता की यात्रा के बारे में है, जहाँ वह 6.5 वर्षों के दौरान 10 करोड़ रुपए से अधिक कमाते हैं। ध्यान रहे, यह 1950 के दशक के 2 मिलियन हैं। स्टॉक मार्केट में असामान्य और अद्वितीय सफलता की कहानी, जो निवेशकों को आत
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